विशेषज्ञों
अजय कुमार
नॉन रेसिडेंट सीनियर फ़ेलो

जीवनी

अजय कुमार कार्नेगी इंडिया के नॉन रेसिडेंट सीनियर फ़ेलो हैं। अगस्त 2019 से अक्टूबर 2022 तक भारत के रक्षा सचिव रहे कुमार रक्षा मंत्रालय के सबसे लंबे वक़्त तक सेवा देने वाले सचिव हैं। साथ ही कुमार, रक्षा उत्पादन विभाग में सचिव भी रहे।

भारत के रक्षा सचिव के रूप में उन्होंने कई प्रमुख बदलावों को अंजाम दिया, जिनमें उच्च रक्षा प्रबंधन का पुनर्गठन और भारतीय सशस्त्र बलों केरक्षा स्टाफ प्रमुख का गठन शामिल हैं। कुमार ने अग्निवीर योजना को, जो सशस्त्र बलों में कर्मियों की भर्ती, प्रशिक्षण और सेवा नियमों में सुधार की योजना है, आकार दिया। 2020 की गलवान घटना के बाद भारत-चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनावपूर्ण गतिरोध को खत्म करने में कुमार की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

कुमार को आत्मनिर्भर भारत के तहत रक्षा उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने का श्रेय जाता है। उन्हें 80000 कर्मचारियों वाले 200 साल पुराने आयुध फैक्ट्री बोर्ड के ऐतिहासिक निगमीकरण की परिकल्पना और उसे क्रियान्वित करने का श्रेय जाता है। उन्होंने इनोवेशन फॉर डिफ़ेंस एक्सीलेंस (iDEX) प्रोग्राम की शुरुआत की। यह स्टार्ट-अप इकोसिस्टम आज रक्षा, अंतरिक्ष, ड्रोन, आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस और अन्य क्षेत्रों को नई प्रौद्योगिकियों से लैस करता है।

रक्षा मंत्रालय में नियुक्ति से पूर्व कुमार ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के विभिन्न पदों पर रह कर सेवाएं दीं। वह भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव; राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के महानिदेशक; केरल सरकार के मुख्य सचिव और KELTRON के प्रबंध निदेशक जैसे प्रमुख पदों पर रहे। वह भारत के उन अग्रणी लोगों की टीम का हिस्सा रहे जिसने दुनिया की सबसे बड़ी डिजिटल भुगतान प्रणाली यूपीआई; दुनिया की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक डिजिटल पहचान प्रणाली आधार; मायगोव (myGov); सरकारी ई-मार्केटप्लेस; जीवन प्रमाण और डिजिटल इंडिया की अन्य प्रमुख योजनाओं को लागू किया।

कुमार, 1985 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और 37 वर्षों से अधिक के कैरियर में उन्होंने भारत सरकार और केरल राज्य सरकार में प्रमुख नीति निर्माण पदों पर सेवाएं

कुमार, 1985 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और 37 वर्षों से भी अधिक समय के कैरियर में उन्होंने भारत सरकार और केरल राज्य सरकार में प्रमुख नीति निर्माण पदों पर अपनी सेवाएं दीं। इसके अलावा वह कई सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निदेशक मंडल का हिस्सा भी रहे।

फ़िलहाल कुमार आईआईटी, कानपुर के डिस्टिंग्विश्ड विजिटिंग प्रोफेसर हैं। उन्होंने 'अर्थशास्त्र विकास और भूराजनीति' पर एक नया पाठ्यक्रम तैयार किया था। कुमार विभिन्न समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लिखते हैं।बिजनेस स्टैंडर्ड में "ऑफ़ दि ग्रिड" नाम से उनका नियमित मासिक कॉलम प्रकाशित होता है जिसमें वह रक्षा, रणनीति, प्रौद्योगिकी और नीति विषयों पर लिखते हैं। वह IIT/IIM/विश्वविद्यालयों, IAS/IFS और सशस्त्र बलों के राष्ट्रीय प्रशिक्षण अकादमियों और भारत और विदेशों में अग्रणी थिंक टैंकों के नियमित स्पीकर हैं। वह प्रौद्योगिकी और रक्षा के क्षेत्र में स्टार्ट-अप और उद्योग को परामर्श भी देते हैं।

उन्होंने मिनेसोटा विश्वविद्यालय के कार्लसन स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में पीएचडी की है। कुमार ने मिनेसोटा विश्वविद्यालय से एप्लाइड इकोनॉमिक्स में एम.एस.और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), कानपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में B. Tech किया है।

उन्हें इंजीनियरिंग क्षेत्र में उनके अतुलनीय योगदान और इस क्षेत्र में उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए आईआईटी, कानपुर का प्रतिष्ठित पूर्व छात्र पुरस्कार, एमिटी विश्वविद्यालय, भारत द्वारा दर्शनशास्त्र में मानद डॉक्टरेट और भारतीय राष्ट्रीय इंजीनियर्स अकादमी के फेलो से सम्मानित किया गया है। वह भारत के प्रधानमंत्री द्वारा प्रशंसात्मक उल्लेख सहित "चैंपियन ऑफ़ चेंज" पुरस्कार, "इलेक्ट्रॉनिक्स लीडर ऑफ़ दि ईयर 2013" पुरस्कार और "साराभाई पुरस्कार" सहित कई पुरस्कारों के सम्मानित हैं।

शिक्षा
PhD, University of Minnesota, MS, University of Minnesota, BTech, Indian Institute of Technology (IIT), Kanpur, India