विजय गोखले कार्नेगी इंडिया में एक नॉन-रेसिडेंट सीनियर फेलो हैं। श्री गोखले 39 सालों के राजनयिक करियर के बाद जनवरी 2020 में भारतीय विदेश सेवा से रिटायर्ड हुए। जनवरी 2018 से जनवरी 2020 तक वो भारत के विदेश सचिव के तौर पर कार्यरत रहे।
विदेश सचिव के रूप में अपने कार्यकाल से पहले, श्री गोखले ने जनवरी 2010 से अक्टूबर 2013 तक मलेशिया में भारत के उच्चायुक्त के रूप में, अक्टूबर 2013 से जनवरी 2016 तक फेडरल रिपब्लिक ऑफ जर्मनी में भारत के राजदूत के रूप में, और जनवरी 2016 से अक्टूबर 2017 तक चीनी जनवादी गणराज्य में भारत के राजदूत के रूप में काम किया। उन्होंने जुलाई 2003 से जनवरी 2007 तक ताइवान में भारत-ताइपे एसोसिएशन के प्रमुख के रूप में कार्य किया है। विदेश मंत्रालय के मुख्यालय में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने पूर्वी एशिया डिवीज़न में प्रमुख पदों पर भी काम किया है, जिनमें मार्च 2007 से दिसंबर 2009 तक पूर्वी एशिया के लिए संयुक्त सचिव (महानिदेशक) का पद भी शामिल है।
उन्होंने चीनी राजनीति और कूटनीति पर विशेष मह्त्व के साथ भारत-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित मामलों पर बड़े पैमाने पर काम किया है। विदेश सेवा से अपनी सेवानिवृत्ति के बाद से, श्री गोखले ने न्यूयॉर्क टाइम्स, फॉरेन पॉलिसी, टाइम्स ऑफ इंडिया, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस में अपनी राय के साथ कई लेख लिखे हैं। उन्होंने चीन पर तीन किताबें लिखी हैं, जिनके नाम हैं तियानमेन स्क्वायर: द मेकिंग ऑफ ए प्रोटेस्ट (2021), द लॉन्ग गेम: हाउ द चाइनीज़ नेगोशिएट विद इंडिया (2021), और आफ्टर तियानमेन: द राइज़ ऑफ़ चाइना (2022)।
श्री गोखले पुणे, भारत में रहते हैं। वो जनवरी 2021 से पुणे में सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी में एक विशिष्ट फैकल्टी भी हैं।
श्री गोखले अंग्रेज़ी, हिंदी, मराठी और मंदारिन चीनी भाषा बोलते हैं। उन्होंने 1980 में दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की। उन्होंने 1983-84 में हांगकांग के चीनी विश्वविद्यालय में मंदारिन चीनी का अध्ययन किया।