श्रुति शर्मा कार्नेगी इंडिया में फेलो एंड चीफ कोऑर्डिनेटर, ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट, टेक्नोलॉजी एंड सोसायटी प्रोग्राम में हैं, जहां वो अभी भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षमता सुधारने के लिए जैव-प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की चुनौतियों और अवसरों की खोज पर काम कर रही हैं। वैज्ञानिक और शैक्षणिक समुदाय के हितधारकों और निजी क्षेत्र और सरकार के प्रतिनिधियों के साथ निकट संपर्क रखते हुए, शर्मा एक ऐसे शोधपत्र पर काम कर रही हैं जिसमें महामारी के दौरान इन समुदायों के सामने आई चुनौतियों की चर्चा है, साथ ही एक मज़बूत और टिकाऊ रिसर्च इकोसिस्टम तैयार करने में सरकार और निजी क्षेत्र की भूमिका पर बात की जा रही है।
इसके पहले, शर्मा जैव-प्रौद्योगिकी के सुरक्षा जोखिमों पर भारतीय दृष्टिकोण पर काम कर रही थीं। इसके लिए, उन्होंने प्राकृतिक रूप से होने वाली बीमारियों, आकस्मिक दुर्घटनाओं की वजह से होने वाले संक्रमणों, और जैविक हथियार विकसित करने के लिए प्रौद्योगिकी के जानबूझकर शस्रीकरण के सामने भारत की कमज़ोरी की जांच की। उन्होंने इन जोखिमों से निपटने के लिए भारत की रणनीतियों का पता लगाया और जैविक खतरों का बेहतर ढंग से सामना करने के लिए देश के बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने के उपाय सुझाए। इस परियोजना के दौरान, उन्होंने कई सार्वजनिक और गुप्त कार्यक्रम किए जिसमें उन्होंने सरकार, उद्योग, शिक्षा जगत, और वैज्ञानिक समुदाय के हितधारकों के साथ चर्चा की ताकि अलग-अलग जैविक खतरों के प्रति भारत की कमज़ोरी को लेकर उनके नज़रिए को समझा जा सके।
शोध के अलावा, उनकी प्रशासनिक भूमिका में कार्नेगी इंडिया का सालाना प्रमुख कार्यक्रम “ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट” का आयोजन शामिल है। इस समिट में टेक्नोलॉजी पॉलिसी के मुद्दों, जैसे टेक डिप्लोमेसी, डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा, डिजिटल फाइनेंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और जैव-प्रौद्योगिकी पर चर्चा के लिए दुनिया भर से विश्व नेता, उद्यमी, प्रौद्योगिकीविद और शिक्षाविद आते हैं।
श्रुति ने एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी, नोएडा से बायोटेक्नोलॉजी में मास्टर्स डिग्री ली है।